संविधान का निर्माण


Savindhan ka nirman .  संविधान का निर्माण


भारत में संविधान सभा के गठन का विचार वर्ष 1934 में पहली बार एमएन राय ने रखा था सन 1935 में राष्ट्रीय का अंग्रेज ने पहली बार भारत के संविधान के निर्माण के लिए आधिकारिक रूप से संविधान सभा के गठन की मांग की।

 1938 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की ओर से पंडित जवाहरलाल नेहरू ने घोषणा की थी स्वतंत्र भारत के संविधान का निर्माण वयस्क मताधिकार के आधार पर चुने गए संविधान सभा द्वारा किया जाएगा

 नेहरू की इस मांग को अंततः ब्रिटिश सरकार ने  सैद्धांतिक रूप से स्वीकार कर लिया इसे सन 1940 के ''अगस्त प्रस्ताव'' के नाम से जाना जाता है।

 कैबिनेट मिशन की संस्तुतियों के आधार पर भारतीय संविधान का निर्माण करने वाली संविधान सभा का गठन जुलाई 1946 ईस्वी में किया गया ( कैबिनेट मिशन के सदस्य स्टेफोर्ड क्रिप्स लॉर्ड पेंथिक लारेंस तथा एबी एलेग्जेंडर थे


        संविधान सभा का गठन 


       संविधान सभा की कुल सदस्य संख्या 389 होनी थी इसमें से 296 सीटें ब्रिटिश भारत और 93 सीटें देसी रियासतों को आवंटित की जानी थी हर प्रांत वा देसी रियासतों को उनकी जनसंख्या के अनुपात में सीटें आवंटित की जानी थी प्रत्येक 10 लाख लोगों पर एक सीट आवंटित की जानी थी।

 प्रत्येक ब्रिटिश प्रांत को आवंटित की गई सीटों का निर्धारण तीन प्रमुख समुदायों के बीच उनकी जनसंख्या के अनुपात में किया जाना था यह तीन समुदाय से मुस्लिम सिख वाह सामान्य।

 प्रत्येक समुदाय के प्रतिनिधियों का चुनाव प्रांतीय असेंबली में उस समुदाय के सदस्यों द्वारा किया जाना था और एकल संक्रमणीय मत के माध्यम से समानुपातिक प्रतिनिधित्व तरीके से मतदान किया जाना था।

 देसी रियासतों के प्रतिनिधियों का चयन रियासतों के प्रमुख द्वारा किया जाना था।

 संविधान सभा आंशिक रूप से चुनी हुई है और आंशिक रूप से नामांकित निकाय थी इसके अलावा सदस्यों का चयन अप्रत्यक्ष रूप से प्रांतीय व्यवस्थापिका के सदस्यों द्वारा किया जाना था जिन का चुनाव एक सीमित मताधिकार के आधार पर किया गया था।

     संविधान सभा का चुनाव भारत के वयस्क मताधिकार द्वारा प्रत्यक्ष रूप से नहीं हुआ तथापि इसमें प्रत्येक समुदाय के प्रतिनिधियों को जगह मिली इनमें महिलाएं भी शामिल थी।

Savindhan ka nirman .  संविधान का निर्माण

 कार्यप्रणाली


संविधान सभा की पहली बैठक 9 दिसंबर 1946 को हुई मुस्लिम लीग ने बैठक का बहिष्कार किया और अलग पाकिस्तान की मांग पर बल दिया।


  इस सभा के सबसे वरिष्ठ सदस्य सच्चिदानंद सिन्हा को सभा का अस्थाई अध्यक्ष चुना गया।

11 दिसंबर 1946 को डॉ राजेंद्र प्रसाद और एचसी मुखर्जी को क्रमशः संविधान सभा का अध्यक्ष और उपाध्यक्ष चुना गया।

 

सर बी .एन. राय को सभा का संवैधानिक सलाहकार नियुक्त किया गया।


उद्देश्य एवं प्रस्ताव


13 दिसंबर 1946 को पंडित नेहरू ने सभा में ऐतिहासिक उद्देश्य प्रस्ताव पेश किया इसमें संवैधानिक संरचना के ढांचे एवं दर्शन की झलक थी इस प्रस्ताव को 22 जनवरी 1946 को सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया गया इसमें संविधान के स्वरूप को काफी हद तक प्रभावित किया इसके परिवर्तित रूप में संविधान की प्रस्तावना बने।

प्रारूप समिति


प्रारूप समिति संविधान सभा की सभी समितियों में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण थी इसका गठन 19 अगस्त 1947 को हुआ था या हुआ समिति थी जिसे नए संविधान का प्रारूप तैयार करने की जिम्मेदारी थी इसमें 7 सदस्य थे जिनके नाम इस प्रकार हैं।

1. डॉ बी आर अंबेडकर( अध्यक्ष)

2. एम गोपाल स्वामी आयंगर

3. अल्लादी कृष्णस्वामी अय्यर

4. डॉक्टर के एम मुंशी

5. सैयद मोहम्मद सादुल्ल

6एन माधव राव  ( इन्होंने बीए .ल मित्र की जगह ली जिन्होंने स्वास्थ्य कारणों से त्यागपत्र दे दिया था।)

7. टी .टी. कृष्णमाचारी( इन्होंने सन 1948 में डीपी खेतान की मृत्यु के बाद उनकी जगह ली।)


संविधान सभा की समितियां


■  संविधान सभा ने संविधान के निर्माण से संबंधित विभिन्न कार्यों को करने के लिए कई समितियों का गठन किया। इनमें से आठ बड़ी समितियां थी तथा अन्य छोटी इन समितियों तथा इनके अध्यक्ष के नाम इस प्रकार हैं।

बड़ी समितियां


1.  शक्ति समिति ⇒ जवाहरलाल नेहरू

2.  संघ संविधान समिति ⇒ जवाहरलाल नेहरू

3.  प्रांतीय संविधान समिति ⇒ सरदार बल्लभ भाई पटेल

4.  प्रारूप समिति ⇒ डॉक्टर भीमराव अंबेडकर

5.  मौलिक अधिकारों एवं अल्पसंख्यकों संबंधी परामर्श समिति ⇒ सरदार बल्लभ भाई पटेल
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संविधान सभा द्वारा किए गए अन्य कार्य


इसने मई 1949 में राष्ट्रमंडल में भारत की सदस्यता का सत्यापन किया इसने 22 जुलाई 1947 को राष्ट्रीय ध्वज को अपनाया।

इसने 24 जनवरी 1950 को राष्ट्रीय गान को अपनाया। 24 जनवरी 1950 को राष्ट्रीय गीत को अपनाया। इस ने 24 जनवरी 1950 को डॉ राजेंद्र प्रसाद को भारत के पहले राष्ट्रपति के रूप में चुना।

अन्य तथ्य


2 साल 11 माह और 18 दिनों में संविधान सभा की कुल 11 बैठकें हुई। संविधान निर्माताओं ने लगभग 60 देशों के संविधानो का अवकलन किया।

24 जनवरी 1950 को संविधान सभा की अंतिम बैठक हुई इसके बाद सभा ने 26 जनवरी 1950 से 1951 में हुए आम चुनावों के बाद बनने वाली नई सांसद के निर्माण तक भारत के अंतरिम संसद के रूप में काम किया।

संविधान का प्रभाव में आना


संविधान की प्रस्तावना में 26 नवंबर 1949 का उल्लेख उस दिन के रूप में किया गया है जिस दिन भारत के लोगों ने सभा में संविधान अपनाया लागू किया वह स्वयं को संविधान सौंपा।
■ 26 नवंबर 1949 को अपनाए गए संविधान में प्रस्तावना 395 अनुच्छेद और 8 अनुसूचियां थी।

■ प्रस्तावना को पूरे संविधान को लागू करने के बाद लागू किया गया








■ संविधान के विशेष प्रावधान 26 जनवरी 1950 को लागू हुए इस दिन को संविधान की शुरुआत के रूप में देखा जाता है और इसे गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है।
26 जनवरी को संविधान की शुरुआत के रूप में इसलिए चुना गया क्योंकि उसका अपना ऐतिहासिक महत्व है इसी दिन 1930 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन 1929 में पारित हुए संकल्प के आधार पर पूर्ण स्वराज दिवस मनाया गया था।

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